अध्यक्ष महोदय/महोदया,
हम यह वक्तव्य xx संगठनों और xx व्यक्तियों की ओर से दे रहे हैं।
वियना घोषणा और कार्यवाही कार्यक्रमों के अंतर्गत, सभी देशों ने यह माना है कि महिलाओं के अधिकार मानव अधिकारों के अंदर माने जाते हैं और सभी मानव अधिकार सबके लिए समान, आपस में जुड़े हुए और एक दूसरे पर निर्भर होते हैं। विकास का अधिकार केवल आर्थिक नहीं है; इसमें नागरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक अधिकार भी शामिल हैं और यह प्रजनन स्वास्थ्य के अधिकार को भी शामिल करता है ताकि सभी के लिए प्रजनन न्याय सुनिश्चित हो सके। प्रजनन न्याय शब्द को ब्लैक नारीवादी संगठनों ने बनाया था ताकि मानव अधिकारों का ध्यान रखा जा सके और यह देखा जा सके कि समाज में विभिन्न आर्थिक और सामाजिक कारण कैसे लोगों के अधिकारों और ज़िंदगी को प्रभावित करते हैं।
प्रजनन न्याय में सुरक्षित और कानूनी गर्भसमापन का अधिकार भी शामिल है। और जब हम स्वास्थ्य के अधिकारों के बारे में बात करते हैं तो प्रजनन अधिकारों को शामिल करना बहुत ज़रूरी है। अगर यह नहीं होगा, तो विकास का अधिकार भी पूरा नहीं हो सकेगा।
कई दशकों से, कॉर्पोरेट पूंजीवादों ने प्रगति को बढ़ावा दिया है। इनके अनुसार विकास और प्रगति का मतलब सिर्फ वृद्धि होता है। यह मॉडल युद्ध, बीमारी और अत्यधिक उपभोग से फायदा उठाता है और सार्वजनिक कल्याण की बजाय निजी संपत्ति का पक्ष लेता है। अक्सर देखा गया है की कई देशों की सरकारें सार्वजनिक व्यय (public expenditure) में कटौती, सेवाओं का निजीकरण और उद्योगों को विनियमित करके इस प्रणाली का समर्थन करती हैं। और बारीकी से देखें, तो ये समझ आता है कि अक्सर देश/सरकारें ये सारे कदम अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के प्रभाव में करती हैं और अधिकतर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान उत्तरी देशों के प्रभाव में पाये जाते हैं। इस प्रणाली के अंतर्गत धन गरीबों से अमीरों के पास चला जाता है, जलवायु परिवर्तन के संकट और बढ़ जाते हैं, खाद्य असुरक्षा में बढ़ोतरी होती है, सस्ते आवासों की कमी , विस्थापन और आर्थिक असमानताएँ भी बढ़ जाती हैं, जो ग्लोबल साउथ में रह रही महिलाओं और हाशिए पर खड़े समुदायों को सबसे ज़्यादा प्रभावित करती हैं। और यह आर्थिक युद्ध अक्सर विकास के नाम पर चलाया जाता है।
आर्थिक और राजनीतिक सिस्टम का असर गर्भसमापन तक लोगों की पहुँच को, काफी बारीकी से प्रभावित करता है। स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े अनुदान (funding) में कमी, सीमित करने वाले कानून, सामान्य अनुदान (general funding) में कमी और नवउदारवादी (Neoliberal) नीतियाँ, सभी मिल कर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को कमज़ोर करती हैं और असमानताओं को बढ़ाती हैं। इस से ऐसी स्थिति पैदा होती है जिसमें कुछ लोग, जिनके पास और लोगों से ज़्यादा अधिकार होते हैं, वो ऐसे प्रतिबंधों से निपटने में सक्षम होते हैं, जबकि हाशिए पर खड़े समुदाय जैसे कि: महिलाएँ, ट्रांस और नान-बाइनरी (non-binary) समुदाय के लोग अक्सर निष्क्रिय या भेदभावपूर्ण सेवा प्रदाताओं की दया पर छोड़ दिए जाते हैं, और या फिर सरकारी प्रणालियों के अंतर को भरने की ज़िम्मेदारी गैर सरकारी संगठनों पर छोड़ दी जाती है जिस से सामाजिक और आर्थिक असमानतायें और अधिक गहरी होती जाती हैं। समाज का ये विभाजन, प्रजनन अधिकारों और न्याय पर काम कर रहे राष्ट्रीय और स्थानीय आंदोलनों को खंडित करता है और उन पर गहरा प्रभाव छोड़ता है।
हमें एक नया और टिकाऊ विकास मॉडल (sustainable development model) चाहिए जो सभी के लिए समान और न्यायपूर्ण संसाधनों की पहुँच को प्राथमिकता दे और कुछ लोगों के मुनाफे को ध्यान में न रखते हुए, सभी को बराबर महत्व दे। इस अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित गर्भसमापन दिवस के अवसर पर, हम विकास के लिए एक इंटरसेक्शनल फेमिनिस्ट मॉडल (intersectional feminist model) की मांग करते हैं जो वैश्विक विकास (global development) को मापने के लिए महिलाओं, लड़कियों और जेंडर विविध (gender diverse) लोगों की आवाज़ों को ध्यान में रखता है।
ऐसे विकास मॉडल के लिए ज़रूरी है कि वो प्रजनन न्याय और सभी लोगों का अपने शरीर पर अधिकार से जुड़े पहलुओं को हमेशा केंद्र में रखे। हाशिए पर खड़े लोगों की अपने प्रजनन जीवन पर नियंत्रण रखने की क्षमता उन्हें सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन में पूरी तरह से भाग लेने में सक्षम बनाती है। और इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए ये ज़रूरी है की सुरक्षित और कानूनी गर्भसमापन तक पहुँच बन सके।
हमें ऐसे कानून और नीतियां लागू करनी चाहिए जो गर्भसमापन तक सभी की समान पहुंच सुनिश्चित करें, और एक समावेशी, न्यायपूर्ण और विकसित समाज को बढ़ावा दें जहां सभी लोग समान रूप से विकास कर सकें।
धन्यवाद